1. शिशु विद्या मंदिर में पढने वाले प्रत्यके भैया- बहन ववष्ठा में सहभागी बने , इस दृष्टि से उन्हे कोई दायत्व सौपा जाता है । दायत्व के निर्वह एवं नेतृव के गुण को विकशित करने की दृषिट से “सदन व्यवस्था ” के अंतर्गत विभागों का बंटवारा किया जाता है |
2. सभी कक्षाओं भैया – बहनो को मिलकर उनेह कोई सदनों में विभक्त कर दिया जाता है । विभिन्न रुचियों के भैया – बहनो को समान रूप से विभाजित कर सदन का निर्माण होता है । सदनों का नाम महापुरुषों , नदियों एवं प्रमुख पहाड़ो के नाम पर रहते है । यथा विवेकनन्द सदन , माधव सदन , केसव सदन , हिमालय सदन ,गंगा सदन , आदि |
3. प्रत्येक सदन की कार्य – अवधि एक माह की होती है । यह कार्य सदन – प्रमुख आचार्या की देख – रेखा से चलता है । सदन के निम्नलिखित प्रमुख विभाग है :-
(क़) वंदना विभाग (ख) पुस्तकालय विभाग (ग) वाचनालय विभाग (घ) सांस्कृतिक विभाग (ड़) शारारिक विभाग (च) चिकित्सा विभाग (छ) अल्पाहार एवम जल विभाग (ज) स्वच्छता विभाग (झ) खोया – पाया विभाग वाहन – व्यवस्था विभाग (ट) कीड़ा विभाग (ठ) जल विभाग इत्यादि |